जहाँ जहाँ नज़र मेरी रुके .. यादें बसी है आपकी
आँसू नही आखों से .. यादें बहती है आपकी
हर मौसम .. हर पतझड़ .. और बादलों की रवानी में..
जहाँ जहाँ चमन जहाँ जहाँ गुलशन
वहां वहां निशानी आपकी
साहिल पे देखा हमने
समंदर में मौजो को आते हुए..
और उसके ऊपर चल रही.. नाज़ुक सवारी आपकी
जहाँ जहाँ नज़र मेरी रुके.. यादें बसी है आपकी
आँसू नही आखों से .. यादें बहती है आपकी
यह तारों के झुमके जो आसमा में दिखते है..
कह रहे है मुझे कहानी आपकी
खुली आखें, रात की गोद में.. बिछाए बिस्तर ...
आंखें भी फलक पे.. तस्वीर बनाती है आपकी..
जहाँ जहाँ नज़र मेरी रुके.. यादें बसी है आपकी
आँसू नही आखों से .. यादें बहती है आपकी
नया क्या .. पुराना क्या .. हसना क्या और रोना क्या ..
बरसो के बाद भी.. ताज़ी है तो सिर्फ़ यादें आपकी..
ख़ुद को भुला भुला .. किताबे जितनी भी पड़ी ...
याद किए बिना.. याद है जो .. बातें आपकी ...
लाख है साथी .. ना जाने कितनी है महफिल ...
फिर भी अकेला हूँ .. और सिर्फ़ यादें आपकी ...
जहाँ जहाँ नज़र मेरी रुके .. यादें बसी है आपकी ...
आँसू नही आखों से .. यादें बहती है आपकी ...
Hrishikesh Mukherjee… forever
1 day ago
No comments:
Post a Comment