October 10, 2008

आपकी

लफ्ज सुनहरा हो गया जो निकला जुबानी आपकी,
और कहते हो की थी यह नादानी आपकी,,

चाँद के साथ चकोर भी मकबूल हुआ,
शहर सारा जानता हैं बराए मेहरबानी आपकी,,

ये आसमान बादल ये हवाएं तुमसे हैं,
कायनात सारी हैं बस दीवानी आपकी,,

कोई किरदार स्याही में घुल गया हैं मेरी,
कलम लिखती हैं सुबह शाम कहानी आपकी,,

लुट गयी जो यह दौलत कमाई न जायेगी,
इसलिए करता हैं 'पुनीत' निगेहबानी आपकी,,

1 comment:

Yayaver said...

kis ke tareef mein sab kuch luta bathe ho,wase achha likha hai...

FEEDJIT Recommended Reading

FEEDJIT Live Traffic Feed